~हम मिले कैसे ~
ताज्जुब होता है
आख़िर हम मिले तो मिले कैसे .....
वो कौन सी चादर थी जो मज़ार पर चढ़ी थी
वो कौन सी आयत थी जो हमने सुनी थी
वो कौन सी इबादत थी
जो उस तलक गई थी
वो कौन सी ललक थी जो अधीर बन गई थी
वो कौन सा धागा था और किसने बुना था
वो कौन सा ताबीज़ था और किसने पढ़ा था
वो कौन सा सिरा था जो बरगद से बंधा था
...
आख़िर हम मिले तो मिले कैसे .....
वो कौन सी चादर थी जो मज़ार पर चढ़ी थी
वो कौन सी आयत थी जो हमने सुनी थी
वो कौन सी इबादत थी
जो उस तलक गई थी
वो कौन सी ललक थी जो अधीर बन गई थी
वो कौन सा धागा था और किसने बुना था
वो कौन सा ताबीज़ था और किसने पढ़ा था
वो कौन सा सिरा था जो बरगद से बंधा था
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