...

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जलती मानवता
सोच दरिंदगी देख सीना जलता है,
कहाँ खो गयी है इंसानियत?
सवाल ये खलता है।
बाजारू है सोच तुम्हारी,
सुनलो तुम हुक्मरानों,
ताउम्र कोई तख्त पर आसीन...