मृत्यु: अंतिम सत्य
इंसान जीते जी कई बार मरता है—वो मौत, जो दिखाई नहीं देती, पर अंदर ही अंदर हमें घेर लेती है। यह मौत भावनात्मक, मानसिक और आत्मिक होती है, और शायद इसी कारण से अधिक दर्दनाक और पीड़ादायक भी। हर चोट, हर असफलता, हर टूटा हुआ रिश्ता, एक छोटी मौत की तरह होता है। फिर भी, हम हंसते-मुस्कुराते, रोते-बिलखते उन मौतों को झेलते हैं और जीवन जीते जाते हैं, क्योंकि हमें जीना आता है।
परंतु, जब बात उस एकमात्र अंतिम सत्य की आती...
परंतु, जब बात उस एकमात्र अंतिम सत्य की आती...