...

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समस्याओ  से जंग
मत सुनो हवा की झनकारे,
उठो, तोड़ दो जंजीरें,
लांघ दो चार दीवारें,
मजबूत इरादों पर चोट न हो,
अंतर्मन में कोई खोट न हो,
आओ लड़े समस्याओं से जंग,
बहुत कर दिया इनने हमें तंग,
क्या तुम्हारे बाजुओं में दम नहीं ?
समझलो तुम किसी से कम नहीं
खून का उबाल कम न हो,
किसी के जीवन में गम न हो,
ये जूनून तुम्हारा कायम रहे,
सुरक्षित मां का दामन रहे,
क्यूँ हो खामोश , निराश ?
क्या  छोड़ दी तुमने आश?
तनाव से जीवन में विस्फोट न हो,
नेक ईरादों में कोई संकोच न हो,
ये बढ़ते कदम कहीं थम न जाये,
इतना रखो विशवास खुदपर कि
तुम्हारा तलाशा हुआ हर पत्थर 
तराश कर हीरा बन जाये...

© Anu Bagre