गिरफ्तार हुए बैठे है
ताज्जुब तो यह है कि बिना जुर्म के गिरफ़्तार हुए बैठे है,
अपने ही घरों में लोग कैद सरेआम हुए बैठे है।
इन खाली-खाली वक़्तों में परिवार के साथ रहना,
अच्छा लगता है, आज अपनी नहीं दूसरों के मन की करना।
वरना फुर्सत कहाँ थी अपनों के बीच रहने की,
ताज्जुब तो यह है कि बिना जुर्म के गिरफ्तार हुए बैठे है।
जरूर ये कोई...
अपने ही घरों में लोग कैद सरेआम हुए बैठे है।
इन खाली-खाली वक़्तों में परिवार के साथ रहना,
अच्छा लगता है, आज अपनी नहीं दूसरों के मन की करना।
वरना फुर्सत कहाँ थी अपनों के बीच रहने की,
ताज्जुब तो यह है कि बिना जुर्म के गिरफ्तार हुए बैठे है।
जरूर ये कोई...