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उनसे कह दो,,,,,
कहते है वो हमसे तुम्हारा कोई जवाब नही,
उनसे कहदो हकीकत हु मैं कोई ख्वाब नही!!
करते हैं वो अक्सर चाँद सितारो में शुमार मुझे,
उनसे कह दो इंसान हु मैं कोई आफताब नही!!
लिखते हैं वो हमे ग़ज़ल नज़्म कसीदों की तरह,
उनसे कह दो कविता हु मैं कोई किताब नही!!
चूमते हैं वो हमारी आँखों को नाशिली कहकर,
उनसे कह दो शरबत हु मैं कोई शराब नही!!
पूछते हैं वो सौ-सौ सवाल हर रोज़ मुझसे,
उनसे कह दो खामोशी हूं मैं कोई जवाब नही!!
© वैदेही
उनसे कहदो हकीकत हु मैं कोई ख्वाब नही!!
करते हैं वो अक्सर चाँद सितारो में शुमार मुझे,
उनसे कह दो इंसान हु मैं कोई आफताब नही!!
लिखते हैं वो हमे ग़ज़ल नज़्म कसीदों की तरह,
उनसे कह दो कविता हु मैं कोई किताब नही!!
चूमते हैं वो हमारी आँखों को नाशिली कहकर,
उनसे कह दो शरबत हु मैं कोई शराब नही!!
पूछते हैं वो सौ-सौ सवाल हर रोज़ मुझसे,
उनसे कह दो खामोशी हूं मैं कोई जवाब नही!!
© वैदेही
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