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#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
टूट जाएगा गिर कर बे;

आलम आज का ऐसा बिखरा हुआ,
फ़िर चल ना पाये ऐसा ठहरा हुआ;
अश्कों को अपने छुपाया हुआ ,
आँखों में समंदर बसाया हुआ;