मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं....!
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं ,
तुम होते तो ऐसा होता, तुम होते तो कैसा होता?
लड़खड़ाते जो ये कदम कभी , तो संभाल लेते तुम ।
हारती जो हिम्मत कभी , तो होंसला बढ़ा देते तुम ।
ख़ामोश होती जो जुबां , तो आंखें पढ़ लेते तुम
ज़िंदगी की उलझनों से , थोड़ा लड़ लेते तुम ।
हमसफ़र न सही , मुसाफ़िर बन लेते तुम ,
सफर तो लंबा है , पर कुछ दूर तो साथ चल लेते तुम ।
तुम होते तो...
तुम होते तो ऐसा होता, तुम होते तो कैसा होता?
लड़खड़ाते जो ये कदम कभी , तो संभाल लेते तुम ।
हारती जो हिम्मत कभी , तो होंसला बढ़ा देते तुम ।
ख़ामोश होती जो जुबां , तो आंखें पढ़ लेते तुम
ज़िंदगी की उलझनों से , थोड़ा लड़ लेते तुम ।
हमसफ़र न सही , मुसाफ़िर बन लेते तुम ,
सफर तो लंबा है , पर कुछ दूर तो साथ चल लेते तुम ।
तुम होते तो...