#रहने-दिया
#रहने-दिया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद को न मिलने दिया,
सरिता सी मैने खुद को बहने दिया,
जो जहां था उसे वही रहने दिया,
क्या ले जाऊंगी मैं सब यहीं रहने दिया,
मैं श्रोता हूं उत्कृष्ठ श्रेणी की मौन रही,
जो कहना था सबको सब कहने दिया,
कुछ प्रत्यक्ष कटाक्ष से,
कुछ अप्रत्यक्ष जाल से,
जिसने चाही जीत उसे जितने दिया,
हुआ वही जो मैने चाहा ,
जितना मैने होने दिया।
#shubh
© shubhra pandey
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद को न मिलने दिया,
सरिता सी मैने खुद को बहने दिया,
जो जहां था उसे वही रहने दिया,
क्या ले जाऊंगी मैं सब यहीं रहने दिया,
मैं श्रोता हूं उत्कृष्ठ श्रेणी की मौन रही,
जो कहना था सबको सब कहने दिया,
कुछ प्रत्यक्ष कटाक्ष से,
कुछ अप्रत्यक्ष जाल से,
जिसने चाही जीत उसे जितने दिया,
हुआ वही जो मैने चाहा ,
जितना मैने होने दिया।
#shubh
© shubhra pandey