...

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बनावटी ईश्क़
ईश्क़ बनावटी था मेरा,
आँखों की चमक झूठी थीं,
निगाहें धोख़ा थीं मेरी,
मुस्कुराहट बरसों पुरानी थीं,
याद हैं हमें,जो तस्वीर दिल में छुपायी थीं,
अब उसे संभालना मुमकिन नहीं।

हक नहीं मेरा उन पर,
तो उन पर हक जताउ कैसे,
दिल हमारा एक था हीं नहीं,
तो दिल एक बताऊ कैसे।

जज़्बात झूठें थे मेरे,
अल्फ़ाज़ बेबुनियाद थे,
हालातों का एक साथी था ईश्क़ मेरा,
तन्हा रातों का सुकून था ईश्क़ मेरा,
खोयी राहों का मंजिल था ईश्क़ मेरा,
पागल सी भाग रही थी मैं,जिंदगी का ठहराव ईश्क़ मेरा, ...