...

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बचपन
बचपन से गरीबी का दीदार देखा है
रोता हुआ मैने अपना परिवार देखा है
कैसे करूँ भरोसा किसी इंसान पर
मैनो तो चन्दा लेकर wish पूरी करने वाला
मतलबी भगवान देखा है

बता कैसे करूँ अययाशी, कैसे छोड़ दूं घर बार अपना
मेरा साथ देने वाले मेरे दोस्तों का छोटा सा संसार अपना
सीलकर इन लबों को, कैसे छोड़ दूं
बोलने का अधिकार अपना

खड़ा हुआ हूँ अपने पैरों पर चलना अभी बाकी है
जिंदगी में सूरज का उगना ओर
रातों का ढलना अभी बाकी है
पा लेंगे वो मुकाम भी एक दिन
जीना सीखने के लिए मरणा अभी बाकी है
✍✍lovely mehmera