...

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वीर सेना
कफ़न वो लेके चला था अपने नाम का,
इस धरती मां के रक्षक बनकर,
आशिर्वाद वो लेके अपनी जननी से,
देश के खातिर मर मिटने को वो चला सीना तान कर।

दुश्मनो से घिरा था
पर मन में न था कोई डर
सिने पे गर्म गोली बरसती रही
लेके नाम अपने देश का लड़ता रहा मगर।

सूना पड़ा है गोद आज उस मां की,
बूंझ गया उस आंगन का एक लौता चिराग,
एक अरसे के बाद,
आज वापस आया वो
अपने आंगनको भरने,
पर चला गया इस दुनिया को छोड़
सीना चौड़ी करके।

बूंद बूंद अपना खून गिराकर
न आने दि अपनी धरती मां पे आंच
मरते मरते भी बचा वो गया वो
धरती मां की लाज।

याद कर आज उन वीर जवानों को,
जिस की ख़ून से रंगी है यह धरती,
शत् शत् नमन है उन वीर जवानों को,
जिन्होंने अपना जीवन धरती मां पे नीछावर करदि।
© suza