क्या करूँ...
कोई ख़्याल ज़ेहन में न आये तो क्या करूँ !
न रोये चश्म न लब मुस्कराये तो क्या करूँ !
लाख सजूँ-सँवरू औ बना लूँ आईनें दीवार,
तेरा अक्स निगाहों से न जाये तो क्या करूँ !
तोड़ लाऊँ सितारे और...
न रोये चश्म न लब मुस्कराये तो क्या करूँ !
लाख सजूँ-सँवरू औ बना लूँ आईनें दीवार,
तेरा अक्स निगाहों से न जाये तो क्या करूँ !
तोड़ लाऊँ सितारे और...