...

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अनकही
नैनो से नैनो की ये
अनकही चलने दो

बतियाओ तुम कही औऱ
हमें यू ही, तुम्हे निहारने दो

चलो झूठ ही सही,
एक औऱ रात,
तुम्हारे पहलु में, गुजरने दो

दीवानगी की ये गुफ़्तगू
कुछ देर और होने दो
तुम तारीफे करो अपनी
मेहबूबा की,औऱ हमें यू ही जलने दो

तुम आगोश में उसके होने की आरज़ू करो औऱ
हमें यू ही तुम्हारी मोहब्बत के
किस्से सुनने दो