तेरा होने तक
करता रहूंगा मै भी इज़हार तेरा होने तक
हो गयी है इन्तहा मोहब्बत की मोहब्बत होने तक
ज़मीं पर रहता है जो चाँद सदियों से यही
देखता रहूं मैं उसे रात को दिन होने तक
देख हो गयी है इन्तहा तेरे ज़ुल्म की अब तो
मुझे रूसवा ना कर ज़िन्दगी के ख़ाख होने तक
बीत ही जायेगी ता-उम्र ज़िन्दगी तेरे साथ यू
तू इन्तज़ार तो कर बस निकाह होने तक
ये रास्ते, ये मंज़र, ये महफिलें आखिर तमस रहेगी कब तक
तू एक कदम तो उठा एक कदम के सफर होने तक
हो गयी है इन्तहा मोहब्बत की मोहब्बत होने तक
ज़मीं पर रहता है जो चाँद सदियों से यही
देखता रहूं मैं उसे रात को दिन होने तक
देख हो गयी है इन्तहा तेरे ज़ुल्म की अब तो
मुझे रूसवा ना कर ज़िन्दगी के ख़ाख होने तक
बीत ही जायेगी ता-उम्र ज़िन्दगी तेरे साथ यू
तू इन्तज़ार तो कर बस निकाह होने तक
ये रास्ते, ये मंज़र, ये महफिलें आखिर तमस रहेगी कब तक
तू एक कदम तो उठा एक कदम के सफर होने तक