...

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दो पल की ज़िन्दगी...
दो पल की ये ज़िन्दगी है तो,
बरसों का सामान किसलिए।
यह जीवन भी तेरा अपना नहीं,
फिर झूठा अभिमान किसलिए।
कठपुतलियांँ हैं हम सभी यहाँ,
उस मालिक ईश्वर की हाथ की
किस्मत के धागों से बंधी हुई हैं,
अपना किरदार निभाती हैं।
खाली हाथ आए हैं जग में...