...

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//जल्वा सामानी//
"कई सालों में दिखती है सूरत हसीन इतनी,
हुस्न पर हर रोज ,कहाँ ऐसे शबाब आते हैं,
रोशनी के वास्ते तो उनका नूर ही काफ़ी है ,
उनके दीदार को आफ़ताब और महत़ाब आते हैं।

हुस्न है इस बार पूरे जल्वा-सामानी के साथ,
आइने टूटे है पहली बार इतनी हैरानी के साथ,
तेरे हुस्न को परदे की जरुरत ही क्या है इतनी,
आईना भी न होश में रहा तुझे देखता जितनी।

कोई शायर कोई फ़क़ीर बन जाये तो माफ़ी है,
आपको जो दिखे ख़ुद तस्वीर बन जाते माही है।।"
© Saiyaahi🌞✒