...

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प्रेम

प्रेम क्या है?
यह तो खुदा है
सब में है यह
ना किसी से जुदा है।
व्यापक है चिरंतन है
सब जगह है
यह तो निरंतर है
फिर न जाने क्यो
लोग एक दूसरे से
खफा है?
न जाने क्यो अब
खो गयी वफा है?
अरूण''अकेला'



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