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अहमियत
हम अपनी एहमियत की हताशा देखते हैं,
कर कुछ नहीं सकते बस तमाशा देखते हैं.
समझते हैं सब कुछ पर कहते नहीं जुंबा से,
वक्त के पन्नों में चुप्पी की परिभाषा देखते हैं.
बातों में मिठास दिल में जहर रखते हैं लोग,
चालाकी की चाशनी में वो बताशा देखते हैं.
कर कुछ नहीं सकते बस तमाशा देखते हैं.
समझते हैं सब कुछ पर कहते नहीं जुंबा से,
वक्त के पन्नों में चुप्पी की परिभाषा देखते हैं.
बातों में मिठास दिल में जहर रखते हैं लोग,
चालाकी की चाशनी में वो बताशा देखते हैं.
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