...

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तुम्हें पहचानता हूं मैं
तुम्हारे डर,जरूरत , कमिंयो को जानता हूँ मैं।
तुम्हें अच्छे से पहचानता हु मैं।

लोग तुमको बाहर से चाहते होंगे, मन मे घट रही हर बात जानता हूं मैं।

शांत सी शीतल चांदनी सी तुम, अंदर से ज्वलन्त परमाणु सी हो,
कहो कुछ भी अशोभित असहनीय सा, पर हो सहज से राज जानता हूं मैं।

मत हो...