...

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क्या बस इतना ही ताल्लुक था
क्या बस इतना ही ताल्लुक था,
जो मिट गया एक पल में, 
रिश्तों के धागे टूट गए,
खामोशी की इक हलचल में

वो जो बातें कभी हमसे हुईं,
अब यादों में बसीं रह गईं, 
एक नजर में सब बदल गया,
दिल की किताबें जल गईं

पर क्या पता, कहीं दूर,
इक कहानी जी रही हो, 
जिसमें हो एहसास का सफर,
अधूरी चाहत खामोशी से लिखी हो

जब यादों के कुछ पन्ने खुलते हैं
तारे खामोश हो वो सारे पल बुनते हैं
चाँद चाँदनी की कलम...