...

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अनजाने मतवाले
होंसलों के संदूक को साथ में लिए,
उम्मीदों की गठरियों को हाथ में लिए,
निकल पड़े है, हम तो हंसते मुस्कुराते,
अजनबी रास्ते में हम अनजाने मतवाले।

इन पलकों मे ख़्वाबों को हमने भरा है,
मुस्कराहट को अपने इन लबों में रखा है,
नाकामयाबियों की हर जंजीरों को तोड़के
निकल पड़े है, हम तो अनजाने मतवाले।

अजनबी रास्ता ही हमें मंज़िल ले जाएगी,
जज़्बा हमारे, राह से हर कांटों को हटाएगी,
ना अंधेरे से डरें, ना ही धूप से गले, चल पड़े
है अजनबी रास्ते में, हम अनजाने मतवाले।
©हेमा