...

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जमुना जल प्रेम का....!
तुम्हे देखे अर्सा हुआ.....
सावन लगे बरसा हुआ.....
हर तरफ यादों का धुंआ....
ना जाने क्यों मेरे जहन को तुमने छुआ.....

तुम शीतल शांत सरोवर हो
मै जमुना का जल काला
गोपियों के अश्रु नित से हुई में निहाल
आज शाम को भी राधे तेरी निर ने छुआ....

प्रेम प्रेम गाए जग सारा
तुम्ही उसका स्त्रोत हो
पावन इस मिलन का
तुम्ही एक गीत हो
तेरी इस गीत ने जग के कण कण को छुआ....