...

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मन नहीं करता
मन नहीं करता
कभी नींद आती थी
आज सोने को *मन* नहीं करता,
कभी छोटी सी बात पर आंसु बह जाते थे..
आज रोने तक का *मन* नहीं करता ,
जी करता था लुटा दुं खुद को या लुटजाऊ खुद पे..
आज तो खोने को भी *मन* नहीं करता,
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को..
लेकिन आज मुह खोलने को* मन* नहीं करता,
कभी कड़वी याद मीठे सच याद आते हैं..
आज सोचने तक को* मन* नहीं करता,
में कैसा था ? और कैसा हो गया हुँ !