जिंदगी आज_ कल
बिताते हैं दिन और रात जिंदगी के
आज_ कल कुछ इस तरह से,
गुजर जाती है रातें सुकून तलाशते_ तलाशते,
जमाने की चहल_ पहल से अलग
एक दायरा है अपना,
जहां अपनों का एहसास है एक सपना,
मंजिल के तलाश में
कई मंजर पार करते चल रहें हैं ,
दिन हो या रात मुस्कुराते चल रहें...
आज_ कल कुछ इस तरह से,
गुजर जाती है रातें सुकून तलाशते_ तलाशते,
जमाने की चहल_ पहल से अलग
एक दायरा है अपना,
जहां अपनों का एहसास है एक सपना,
मंजिल के तलाश में
कई मंजर पार करते चल रहें हैं ,
दिन हो या रात मुस्कुराते चल रहें...