...

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girl.......
आखिर लड़की को ही क्यूं दबाया जाता है?
सबक सलीके का उसी को क्यूँ पढ़ाया जाता है?
घर से निकलने पर उसके ,
कुछ लोग तंज कसते हैं।
नज़र जिनकी खुद हो गलत,
वही उसके छोटे कपड़ों पर हँसते हैं।
सहमी सी वो दुनिया भर से रहती है,
कौन जाने वो क्या क्या सहती है?
ताउम्र बंधन में वो जीती है,
और जीना है उसको कैसे?
ये हक भी उसको दुनिया देती है।
उसके भी सपने होते हैं,
उड़ने के, खुले आसमां में;
कुछ करने के, कुछ बनने के,
इस जहाँन में।
पर बढ़ने से उसको रोका जाता है,
अपनी जिंदगी ,कैसे है उसको जीनी,
इस बात पर भी टोका जाता है।
छोटी सी ख्वाहिश पर भी तड़पाया जाता है,
सबक सलीके का उसी को क्यूँ पढ़ाया जाता है?