...

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"ख़ुद से कितनी दूर"
भटकते ख़्याल नींद बेहाल,
क्यों हो गया मजबूर..!

औरों के लिए जीने वाला मैं,
हो गया ख़ुद से कितनी दूर..!

अनजान सफ़र पे क़दम ठहरे,
नम आँखों में भर के समुन्दर सी लहरें..!

डूबती...