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तनहाई
तनहाई को उस से मोहब्बत हो गई
वो रात बिछाए उसके सीने पे सो गई
ख़ामोशी के शोर में वो बातें करती रही
उसकी हैरानी भरी आंखें बस उसे देखती रही
अंधेरों में नज़र आनेवाला वो कोई सवाल था
उसके गहरे दर्द ओ ग़म का वो शायद जवाब था
खौफ उमड़ आता ज़ेहन में जो सुनलेता ये किस्सा
भुला कैसे पाता वो उसे जो बनगई थी ज़िन्दगी का हिस्सा
© khush rang rina
वो रात बिछाए उसके सीने पे सो गई
ख़ामोशी के शोर में वो बातें करती रही
उसकी हैरानी भरी आंखें बस उसे देखती रही
अंधेरों में नज़र आनेवाला वो कोई सवाल था
उसके गहरे दर्द ओ ग़म का वो शायद जवाब था
खौफ उमड़ आता ज़ेहन में जो सुनलेता ये किस्सा
भुला कैसे पाता वो उसे जो बनगई थी ज़िन्दगी का हिस्सा
© khush rang rina
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