बाते...
खामोश राते और हजारों बाते
सुलझी हुई जिंदगी की खोज में उलझी हुई मै
ये हल्की हल्की हवाएं और टिमटिमाते तारे
तारो की गर्दिश में कही खोई हुई हु मै
मन में कई सवाल और आंखों में सपने
मंजिल की तलाश में कही गुम हुई मै...
ये खुला आसमान और ये अजीब सी शांति
ना जाने अब क्यों मन के शोर से परेशान नही हूं मै,
सुकून की तलब अब और नही शायद वक्त के साथ खुश रहना सीख रही हु मै।।
© All Rights Reserved
सुलझी हुई जिंदगी की खोज में उलझी हुई मै
ये हल्की हल्की हवाएं और टिमटिमाते तारे
तारो की गर्दिश में कही खोई हुई हु मै
मन में कई सवाल और आंखों में सपने
मंजिल की तलाश में कही गुम हुई मै...
ये खुला आसमान और ये अजीब सी शांति
ना जाने अब क्यों मन के शोर से परेशान नही हूं मै,
सुकून की तलब अब और नही शायद वक्त के साथ खुश रहना सीख रही हु मै।।
© All Rights Reserved