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समय के द्वारा छला गया
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
खुद से हीं मैं छला गया
करता भी क्या
परिस्थिति का मारा था
अपना से हीं मैं हारा था
वक्त ने ऐसा मुझे बना दिया
नासूर बन कर
असहनीय दर्द दे रहा है
आंखो के आंसू
मोती बन आंखो मे हीं
ठहर गया
समय ने ऐसा नाच नचाया
जहां था वहां पड़ा रहा
एक कदम भी न बढ़ा गया
समय के द्वारा छला गया
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
खुद से हीं मैं छला गया
करता भी क्या
परिस्थिति का मारा था
अपना से हीं मैं हारा था
वक्त ने ऐसा मुझे बना दिया
नासूर बन कर
असहनीय दर्द दे रहा है
आंखो के आंसू
मोती बन आंखो मे हीं
ठहर गया
समय ने ऐसा नाच नचाया
जहां था वहां पड़ा रहा
एक कदम भी न बढ़ा गया
समय के द्वारा छला गया
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
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