...

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Aansu:)
अभिलाषाओं की करवट...
फिर सूप्त व्यथा का जगना...
सुकू का सपना हो जाना..
भीगी पलकों का लगना...

मादक थी मोहमयी थी...
मन बहलाने की क्रीड़ा 
अब हृदय हिला देती है..
वह मधुर प्रेम की पीड़ा। 
 
इस करुणा कलित हृदय में  
अब विकल रागिनी बजती  
क्यों हाहाकार स्वरों में  
वेदना असीम गरजती?  
  
मानस सागर के तट पर  
क्यों लोल लहर की घातें  
कल कल ध्वनि से हैं कहती  
कुछ विस्मृत बीती बातें?  

इस हृदय कमल का घिरना 
अलि अलकों की उलझन में 
आँसू मरन्द का गिरना 
मिलना निश्वास पवन में। 

सुख आहत शान्त उमंगें 
बेगार साँस ढोने में..
यह हृदय समाधि बना हैं 
रोती करुणा कोने में।...

fir.....

अभिलाषाओं की करवट...
फिर सूप्त व्यथा का जगना...
सुकू का सपना हो जाना..
भीगी पलकों का लगना...

#JSP
#अर्थ # जीवन
#adhurilikhawat