अगर इश्क मेरा गुनाह है , तो
अगर इश्क मेरा गुनाह है तो
मुल्जिम करार दो मुझे
तो फिर देर किस बात की
आओ मार दो मुझे
मेरे गले में पड़ी रस्सी मेरी गवाह बनेगी
आंखो पर डालकर कपड़ा सूली उतार दो मुझे
मैने तो वो भी सह लिया के मेरा महबूब है...
मुल्जिम करार दो मुझे
तो फिर देर किस बात की
आओ मार दो मुझे
मेरे गले में पड़ी रस्सी मेरी गवाह बनेगी
आंखो पर डालकर कपड़ा सूली उतार दो मुझे
मैने तो वो भी सह लिया के मेरा महबूब है...