...

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तब पसंद सब को थी मैं
कपोताक्षी, खंजन नयन, विशालाक्षी ,मृगनयनी आँखो वाली ,
तब पसंद सब को थी मैं.🥀🥀🥀🥀
आत्मविश्वास से भरी, सचेत, जागरूक आँखो वाली ,
नही पसंद आयी फिर मैं 🔹🔹🔹

पायल से अलंकृत, महावर सजे पाँव, बिछुओं से दमकती उंगलियाँ, तब पसंद सब को थी मैं 🥀🥀🥀🥀
दहलीज भी मेरी, सोच भी मेरी, सीमायें भी मेरी ,सशक्त मनोबल वाली
नही पसंद आयी फिर मैं 🔹🔹🔹

सकुचाती, लजाती,सुकोमल, मृदु, तुम्हारे रचे व्यूह में समर्पित,तब पसंद सब को थी मैं🥀🥀🥀🥀
सजग,सचेत, सबल, समर्थ ,प्रतिवादी भाव वाली
नही पसंद आयी फिर मैं🔹🔹🔹
@Nik108
© ऋत्विजा