...

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शोक गीत

आखों में नमी आने से
उग आईं थी
मेरी पहली कविता

ज़ार-ज़ार रोते हुए
मैने पाया...
आसू की बुंदे
छाती पर गिरती हुई
शोक गीत बनती गई...
काश की वो किसी के कांधे पर गिरी होती
तो आज प्रेम गीत होती।