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कभीं कभीं
कभी कभी हम ख़्यालों में डूब जाते हैं
इक इक पल याद करते जातें हैं
ऐसा क्यों हुआ ऐसा क्यों नहीं हुआ
खुद से प्रश्न करते हैं, खुद को ही समझाते हैं
कभीं ऐसी तस्वीर बनाते हैं जो दिल को लुभाती
कभीं ना मिटने वाली लकीर मिटाती जाती
कभी सब कुछ इक सपना सा लगता
कोई इक पल बहुत अपना सा लगता
कभीं दिल करता खुले आकाश में उड़ती फिरूं
कभीं ये दरों दीवार बहुत आनंद देने लगते
कभीं खुद से बहुत नाराज़गी होती
दिल की लगी काश इक दिल्लगी होती
कभीं कुछ भी बोलने का दिल नहीं करता
कभीं इतना बोलने का दिल करता कि,
Guinness book में हमारा भी नाम लिखा जाये😂।।
इक इक पल याद करते जातें हैं
ऐसा क्यों हुआ ऐसा क्यों नहीं हुआ
खुद से प्रश्न करते हैं, खुद को ही समझाते हैं
कभीं ऐसी तस्वीर बनाते हैं जो दिल को लुभाती
कभीं ना मिटने वाली लकीर मिटाती जाती
कभी सब कुछ इक सपना सा लगता
कोई इक पल बहुत अपना सा लगता
कभीं दिल करता खुले आकाश में उड़ती फिरूं
कभीं ये दरों दीवार बहुत आनंद देने लगते
कभीं खुद से बहुत नाराज़गी होती
दिल की लगी काश इक दिल्लगी होती
कभीं कुछ भी बोलने का दिल नहीं करता
कभीं इतना बोलने का दिल करता कि,
Guinness book में हमारा भी नाम लिखा जाये😂।।
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