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आख़िर जाना है तुझे अकेला
*आख़िर जाना है तुझे अकेला*

बाहर देख न सुख शांति, अपना अन्तर्मन ही निहार
अन्तर्मुखी जब होगा तभी, आत्मा का होगा दीदार

मोह माया में फंसकर, मत बांधना माया की गठरी
विवेकशील बनकर चलना, जीवन की सीधी पटरी

चारों और देखो तो जैसे, दुनिया लगती हाट बाजार
हर कोई इसमें उलझा, दिन रह गए हों भले ही चार

कर्मों की कारोबारी में सबने,...