Raabtaa
......{राब्ता_शम्मा-परवाने का}........
देखा मैने दीपक के लौह में ,
वो मंजर मडराते कीट का।
मैं भी परिचित हो जाऊ की,
क्या रहस्य हैं इस प्रीत का॥
ये पागलपन हैं कैसा मतवाले, दीवाने की?
समझ सका न मैं राब्ता शम्मा-परवाने की॥
भटके ,मडराये कही भी मगर ,
लौट पास शम्मा...
देखा मैने दीपक के लौह में ,
वो मंजर मडराते कीट का।
मैं भी परिचित हो जाऊ की,
क्या रहस्य हैं इस प्रीत का॥
ये पागलपन हैं कैसा मतवाले, दीवाने की?
समझ सका न मैं राब्ता शम्मा-परवाने की॥
भटके ,मडराये कही भी मगर ,
लौट पास शम्मा...