मर जाऊँ पिया
मैं दासी बनूं, मैं सेवा करुं,
मैं देहरी तेरी आऊं पिया।
निज प्रेम को त्याग, भोगूं बनवास,
मैं जी तोसे लगाऊं पिया।।1
भई निशा, मिला तोरा दर्श नहीं,
अंखिया चौखट पे बिछाऊँ पिया।
मैं बाबरिया, हुई तेरी सुहागिन,
बोल कैसे तोहे मनाऊं पिया।।2
दर्पण...
मैं देहरी तेरी आऊं पिया।
निज प्रेम को त्याग, भोगूं बनवास,
मैं जी तोसे लगाऊं पिया।।1
भई निशा, मिला तोरा दर्श नहीं,
अंखिया चौखट पे बिछाऊँ पिया।
मैं बाबरिया, हुई तेरी सुहागिन,
बोल कैसे तोहे मनाऊं पिया।।2
दर्पण...