...

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तन्हाई
कैसे लिख दूँ मैं अपने हालात सब के सब,
जो दबे हैं दिल में वो ज़ज्बात सब के सब I
बेतुकी लगती है अब सारी दलीलें उसकी,
बेमाने हैं उससे जुड़े सवालात सब के सब I
इश्क़ सज़ा है दर्द मजा है और ग़म कजा है,
बड़े गुमसुम से हैं ख़यालात सब के सब I
मैं घिरी हूँ ख़ुद की बुनी तन्हाई के सहरा में,
मायूस है धूप, आँधी बरसात सब के सब I
दूर तलक अँधेरे ही अँधेरे हैँ, राहों में मेरी,
बता कैसे कटेंगे मेरे दिन और रात सब के सब I