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खत
ख़त तुम्हारे नाम के हैं
लेकिन तुम्हारे घर का पता नहीं
दिल में बातें तो बहुत हैं
पर अब हमारा कोई वास्ता नहीं
हमारे दरमियां की बातचीत
रोज़ ख़त में अब लिखता हूं
ख़त के बहाने से ही
हर बार मैं अब तुमसे मिलता हूं
ख़त लिखकर भेजने का
मक़सद मेरा कहीं खो गया
वो मोहब्बत हमारी वो नायाब मंज़र
दूर कहीं हवा हो गया
हर लिखा ख़त मैं खुद
पढ़कर तुम्हें सुनाना चाहूं
एक बार फिर से मैं
तुम्हें अपनी मोहब्बत बनाना चाहूं
© summit_aroraa
लेकिन तुम्हारे घर का पता नहीं
दिल में बातें तो बहुत हैं
पर अब हमारा कोई वास्ता नहीं
हमारे दरमियां की बातचीत
रोज़ ख़त में अब लिखता हूं
ख़त के बहाने से ही
हर बार मैं अब तुमसे मिलता हूं
ख़त लिखकर भेजने का
मक़सद मेरा कहीं खो गया
वो मोहब्बत हमारी वो नायाब मंज़र
दूर कहीं हवा हो गया
हर लिखा ख़त मैं खुद
पढ़कर तुम्हें सुनाना चाहूं
एक बार फिर से मैं
तुम्हें अपनी मोहब्बत बनाना चाहूं
© summit_aroraa
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