क्षणिक सफर: एक बर्फ़ का गीत...!!!
#हिमकण
एक बर्फ़ की परत में छिपा स्वप्न सा
आकाश से गिरा एक छोटा सा चमत्कार।
नभ में टिमटिमाता, धरती पर उतरता
निर्मल, कोमल, शीतल, अति उदार।।१।।
तारों के बीच खेलता, हवा संग बहता,
अपने अस्तित्व की धुन में खोया सा।
जैसे कोई गीत अधूरा, अनगिनत राग लिए,
श्वेत, निष्कलंक, पिघलता धीरे-धीरे।।२।।
उसकी यात्रा अदृश्य सी, निशब्द सी,
हर कण में छुपी एक कहानी उसकी।
पहाड़ी की चोटी से मैदानों की ओर,
मंदिर की मूरत से गंगा की ओर।।३।।
हर बार गिरता, कुछ नया रचता है,
लेकिन जानता है, पल भर का...
एक बर्फ़ की परत में छिपा स्वप्न सा
आकाश से गिरा एक छोटा सा चमत्कार।
नभ में टिमटिमाता, धरती पर उतरता
निर्मल, कोमल, शीतल, अति उदार।।१।।
तारों के बीच खेलता, हवा संग बहता,
अपने अस्तित्व की धुन में खोया सा।
जैसे कोई गीत अधूरा, अनगिनत राग लिए,
श्वेत, निष्कलंक, पिघलता धीरे-धीरे।।२।।
उसकी यात्रा अदृश्य सी, निशब्द सी,
हर कण में छुपी एक कहानी उसकी।
पहाड़ी की चोटी से मैदानों की ओर,
मंदिर की मूरत से गंगा की ओर।।३।।
हर बार गिरता, कुछ नया रचता है,
लेकिन जानता है, पल भर का...