...

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#जिवन के ठहराव#

कभी सांस चलतें तक का ठहराव
तो कभी सांस रुक जानें का ठहराव

कस्ति साहिल की पार न हों पाई
ziddi चाह कर भी khadush को समझा ना पाई,
बीत गये सालों साथ रहतें-रहतें
फिर व दिल में वसें कड़वाहट के ठहराव को मिटा ना पाई,
Ziddi चाह कर भी अपनें Khadush को कुछ समझा ना पाई...💔💯🥀🖤