...

8 views

प्रेम:
अभी तक ना रामचरितमानस पढ़ी, ना भागवत गीता का एक भी पन्ना,
जागरूकता की सीमा से अधिक आपके त्याग को जाना है मैने प्रभु ,
जिसे ना आभूषण, ना अमृत रास आया वो कहलाये मेरे भोलेनाथ,
और जिसे अपने कुल का नाश भी, परिवार की दूरिया भी सह कर हमेशा दूसरों के कल्याण और धर्म स्थापना के लिए ना जाने कितने त्याग किए...वो कहलाये मेरे बांके बिहारी श्री हरि....
ना जाने लोगों को कब समझ आएगा की मोक्ष की प्राप्ति से भी बड़ा है वो केवल ईश्वरीय प्रेम है
आत्मा की शांति, स्थिरता और सुरक्षा केवल प्रभु की आस्था में है...
तो क्या हुआ अगर तुम वेद, पुराण ना जान पाए
तो क्या हुआ तुम्हें दर्शन ना मिले
तो क्या हुआ अगर सब तुमको पागल समझे
तुम केवल प्रेम करते चले जाओ अपने प्रभु से,
उनकी त्याग को देखो, उनके महिमा को देखो
उनकी सुंदरता, उनकी अनेक चमत्कार, उनका निःस्वार्थ प्रेम कित्ता कुछ है इस दुनिया में....
और अगर ये सब भी ना कर पाओ तो खुद प्रकृति (Nature) से प्यार करो,
तुम अपने सारे दुखों से दूर चले जाओगे कुछ देर,
उगते हुए और ढलते हुए सूरज को देखो, वो भी प्रभु है
सुन्दर से खिलते फुल, पेड़, हस्ते हुए बच्चे हर जगह प्रेम ही तो है ,
तो क्या हुआ तुम्हारे अपने तुम्हारे ना हुए तो,
ये सब तुम्हारे ही तो है,
तुम्हारे दुख को कम करने के लिए भगवान ने कित्ता सुन्दर ब्रहमांड दिया है,
आओ अपने ग़मों को कुछ देर भूलते है,
इस प्रभु की बनाई हुई सुन्दर से दुनिया को प्रेम से देखते है...



राधे ~राधे ☮️



© Angelite** :)