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#Apraadh...

मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है
आज मन मौन व्रत कर अपराध करता है
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कभी खुद को यूं बेहाल करता है,
हर पल खुद से कितना सवाल करता है,
जब नहीं मिल ते जवाब सवालो के,
फिर मन मौन व्रत कर अपराध करता है

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सुनो इसे, खुद को कैसे खुद से समझाता है
भुलाकर खुद को, फिर खुद से ही झगड़ता है,
रातों की खामोशी में, खुद से बात करता है,
मन फिर मौन व्रत कर अपराध करता है


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