ग़ज़ल: बिन गुल गुलिस्तान है
बिन गुल गुलिस्तान है
दिल जैसे कब्रिस्तान है
ये फासला चाहतों का
यही इश्क़े इम्तिहान है
उसके ऐश की ख़ातिर
लुटा जो वो मेरा मान है
सीख जाओगे तुम भी
ये ज़िंदगी का ज्ञान है
सदा देती है जो सबको
वो ख़ुदा का फ़रमान है।।
Pooja Gaur (sada)
© Pooja Gaur
दिल जैसे कब्रिस्तान है
ये फासला चाहतों का
यही इश्क़े इम्तिहान है
उसके ऐश की ख़ातिर
लुटा जो वो मेरा मान है
सीख जाओगे तुम भी
ये ज़िंदगी का ज्ञान है
सदा देती है जो सबको
वो ख़ुदा का फ़रमान है।।
Pooja Gaur (sada)
© Pooja Gaur