दोस्ती
हमारे जीवन में बहुत से रिश्ते हैं,
जैसे माता-पिता का रिश्ता ख़ास होता है।
वे रिश्ते जन्म से हमारे साथ रहते हैं,
वैसे ही दोस्ती का रिश्ता हम खुद बनाते हैं।
दोस्त हम खुद चुनते हैं,
क्योंकि दोस्ती मोती के हार जैसी होती है।
अगर मोती का हार टूट जाए, तो मोती बिखर जाते हैं,
वैसे ही दोस्ती की कीमत कभी कम नहीं होती।
हर सुख-दुख में साथ निभाते हैं,
जीवन को खुशहाल बनाते हैं।
गलतियाँ बताते हैं, समझाते हैं,
मदद करते हैं और हमेशा साथ देते हैं।
दोस्ती बचपन से बुढ़ापे तक साथ रहती है,
इसीलिए दोस्ती बहुत ख़ास होती है।