...

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मेरी बेपनाह मोहब्बत 💔.....
तुझ से ही वफ़ा की,,,,
तुझ को ही चाहा......
तुझे को ही हर दुआ में मांगा मैंने....
बोलो ना और क्या किया है,,,
गुनाह मैंने,,,,
क्यों भटकते हैं,,तन्हा यु,,दर-बदर,,
क्यों नहीं होती तुझे,,,
मेरे दर्द की खबर,,,,
क्यों तुमने हाथ छुड़ा लिया,,,,
क्यों मायुसी,, क्यों दगा दिया,,,,
हर तन्हा रात तुम्हारी,,,,एक लम्हा,,,
मेरी याद तो चुराती ही होगी ,,ना,,
एक पल तो तुम्हें,,,,
"मेरी बेपनाह मोहब्बत",,,
याद तो आती ही होगी,,ना,,,,
देखो ना,, कैसे गुजररहे है,,,
ये दिन मेरे,,,,
अकेले,,अंधेरे,,,ये मेरे बसेरे,,,,
ना चांद,,ना सितारे,,ना होते सवेरे,,
तेरे बिन तो कुछ भी नहीं था,, पास मेरे,,
तेरे बाद तो,,कुछ भी रहा नहीं पास मेरे,,
मैं ख़ामोश हु,,,मगर,,,,
कानों में मेरे चिखती है,,ये तन्हाई बेहद,,,
और क्या कहुं,,"जान" छोड़ो,,,,,
तुम कहां पढ़ोगे,,ये सब........😣




© Dipti Swami