ताज्जुब है...❤️✍️✍️ (गजल)
सूरज खुद पिघलने लगा ताज्जुब है
चांद क्यों मचलने लगा ताज्जुब है
हमेशा ताज ए गुरूर पहनने वाला
आज खुद बदलने लगा ताज्जुब है
जिसे मेरी कमी न खली आज तक
उसे मेरा प्रेम खलने...
चांद क्यों मचलने लगा ताज्जुब है
हमेशा ताज ए गुरूर पहनने वाला
आज खुद बदलने लगा ताज्जुब है
जिसे मेरी कमी न खली आज तक
उसे मेरा प्रेम खलने...