...

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यह बादल कहते हैं
हम वक्त पर आगए देखो, मगर तुम नहीं आए
हो चुका आसीर हर शय, छा गए मेरे ही साए

हर कोई है इंतज़ार में, कब बरस पड़ूं उनकी आसेब पर
यह बादल कहते है, इन्तज़ार था मुझे पर तुम नहीं आए

जहां से भी गुजरता हूं, ज़माना देखता है मुझे निहारकर
कैसे मैं बताऊं! कितना सुकून मिलता है तुझे पुकारकर

हर शख़्स सोचता मुख्तलिफ है,इंतजार में अलग नहीं राए
यह बादल कहते हैं, इन्तज़ार था मुझे पर तुम नहीं आए।
© Zulqar-Nain Haider Ali Khan

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