...

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इंतज़ार
फिर वही बेबात की बेताबी है
हर आहट पर चौंकने के आदी हैं
पता है , तुम नहीं आए हो, ना ही आओगे
लेकिन दिल कहाँ समझता है
इसे लगाता है इसकी ये हालत तुम समझ पाओगे

आज का दिन भी निकल गया
रहा इंतज़ार आज भी तुम्हारा
रात भी ये निकल जाएगी
हम काट लेंगे बेसहारा

अगर कभी दिल करे तो आ जाना
मैं भी खुश हो जाऊंगी
वैसे तो तमाम खुशियाँ है जिवन में
थोड़ी तुम्हारे साथ जी जाऊँगी

और यदि मेरा इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ
तो कर भी क्या सकते हैं
कुछ गुरूर तो मुझ में भी है
जबरदस्ती करना आता नहीं और मिन्नतें करेंगे नहीं
© accio thoughts